अतिसुंदर अनुभूति -कोंकन
सोचिये,अगर जहाँ हम रहते हैं, वहाँ से करीब कुछ मिल की दूरी पर ही हमे ऐसा नज़ारा दिखाई दे,जिस से जिंदगी और भी खूबसूरत लगने लगे तो?ऐसे नजारें को हम कितने बार देखेंगे?कोई भी इंसान इस बात का जवाब नही दे सकता।ऐसा ही नज़ारा हमारे बिल्कुल 10 कि.मी.की दूरी के पास ही था।सुखद,अकेला,शांत लाड़घर बीच।आकार से बिल्कुल इंग्रजी अक्षर ‘U’के जैसा ये बीच महाराष्ट्र राज्य के उत्तम समुद्र तटों में से एक हैं। बीच के चारों ओर प्रकृति ने अपने दोनों हाथों से हरियाले-नीले रंग की खुलकर बौछार सी की हैं।ये बीच बिल्कुल मनुष्य की दृष्टि से दूर हैं और इसीलिए छुट्टियों के दिनों के लिए ये एक हॉट डेस्टिनेशन हैं।कोंकन तटों में शामिल कई समुद्र तटों में से एक लोकप्रिय समुद्र तट है लाड़घर बीच।इसे “तामस तीरथ”इस पवित्र नाम से भी पहचाना जाता हैं।
कोंकन में रत्नागिरी जिले में दापोली से 9 कि.मी.की दूरी पर स्थित है लाड़घर।जैसे ही आप दापोली में प्रवेश करते हो आपको केळूस्कर नाका नाम की जगह को ढूंढना होगा,वहाँ से बायें ओर के रास्ते से सीधे जाने के बाद दापोली पुलिस स्टेशन दिखेगा और सामने होगा आज़ाद मैदान,वहाँ से दाए ओर मुड़कर कुछ देर तक आगे बढ़ने के बाद बाए ओर आपको दापोली न्यायालय की इमारत लगेगी,वहाँ से भी बिल्कुल सीधे तब तक जाना हैं जब तक आपको दापोली पुलिस का चेक पोस्ट नही लगता,चेक पोस्ट लगने के बाद वहाँ से बायें और मुड़कर आपको सीधे रास्ते से जाना हैं,जाते वक़्त आपको आपके बायें ओर कोंकन कृषि विद्यापीठ दिखेगा,वहाँ से घनी झाड़ियों के बीच में से रास्ता सीधा लाड़घर तक जाता हैं।यहाँ तक सफर करने का बाद आपके मन में ये विचार जरूर आता हैं की ये बीच और कितनी दूर हैं?ऐसा लगता रहता हैं जैसे आसपास बीच तो क्या समुद्र तक नही हैं और आप किसी जंगल में से गुजर रहे हो,लेकिन “सब्र का फल मीठा होता हैं”कहते है,इस बात का अनुभव आपको तब होता हैं,जब कुछ ही देर में एक छोटा मोड़ लेकर आपकी गाड़ी बिल्कुल छोटे रास्ते से बाहर निकलती हैं और सामने होता हैं विशालकाय,सुंदर,अद्भुत महासागर और मनमोहक नजरों से भरा हुआ लाड़घर बीच।
ये बात आपको जरूर बतानी होगी की लाड़घर शहर के आसपास और भी बहुत देखने जैसी कई जगह और बीचेस हैं,लेकिन अगर आप एक-दो दिन की छुट्टियों पर आये हुए हो और हररोज की भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर फ़ुरसत निकालकर पूरा समय शांतता में बीताना चाहते हो,तो लाड़घर जैसे सुंदर,निर्मनुष्य जगह का ही अनुभव ले।यहाँ के निसर्ग का अनुभव लेना और एकरूप हो जाना ही शरीर और मन का सारा बोझ उतार देता हैं।
लाड़घर एक ऐसी जगह हैं,जहाँ सारी टूरिज़म की अत्याधुनिक सुविधाओं के होने के बावजूद भी अपने नैसर्गिक सौंदर्य और विशेषताओं को टिकाये हुए है।इस बीच की खूबी ये हैं की मिलों तक बीच पर सिर्फ आप ही होते हैं।आपको ऐसा अनुभव होता हैं,की पूरा बीच सिर्फ आपके लिए हो।तरंगों से मस्ती के लिए ये बीच बहुत सुरक्षित हैं।इस बीच की और एक खूबी ये हैं की इस बीच की रेत लाल रंग की हैं और इसलिये सागर के इस भाग को “लाल समुद्र”कहाँ जाता हैं।बीच बहुत लंबा और स्वच्छ होने के कारण समुद्र में तैरने के लिए और किनारे पर घुमने के लिए बहुत मजा आता हैं।आपको विश्वास नहीं होगा,लेकिन इस लंबे फैले हुए बीच के एक छोर की रेत पत्थरीली रेत हैं तो दूसरी चोर की रेत बिल्कुल मुलायम रेत है।बीच के चारो ओर नारियल के पेड़ों का मानो जंगल हैं और इसी वजह से एक तरफ जंगल और दूसरी तारग महासागर और बीच में किनारा ऐसा अद्भुत दृश्य हमे यहाँ देखने के लिए मिलता हैं।बीच पर हम जो जी चाहे मजे कर सकते हैं।बीच पर लाइफ गार्ड की मौजूदगी भी होती हैं।बीच का संपूर्ण अनुभव लेने के बाद मन शांत और प्रसन्न हो जाता हैं।सागर किनारे बैठे बैठे लहरों की तरफ देखकर अपने मनपसंद खाने-खजाने का स्वाद लेना,गरम गरम चाय के घोंट लेते लेते मन में उठे हुए सकारात्मक लहरों पर सवार होकर इस नज़ारे में खो जाने का मजा कुछ और ही हैं।
लाड़घर के आसपास रहने के लिए अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।लाड़घर एक बहुत सुंदर और नैसर्गिक विविधताओं से युक्त,रिफ्रेशिंग बीच हैं।सूर्यास्त के समय ये तट बहुत विलक्षण और मनमोहक नजारों से भर जाता हैं और लाल रंग में रंग जाता है।ये दृश्य देखने के बाद हमें ये एहसास होता हैं की निसर्ग कितना खूबसूरत हैं और मन ही मन हम पूर्ण रूप से भर जाते हैं।
अपने परिवार और प्रियजनों के साथ कुछ खास और अपने पल बिताने हो या फिर अपने दोस्तों के साथ जवानी के पल या फिर सबको भूलकर आप अकेले,अकेला किनारा और सागर ऐसा शांत अनुभव लेना हो,लाड़घर बीच से कोई दूसरी बेहतर जगह नहीं।
©प्रतिक ढवळीकर