मेरे जाने से पहले भी दो बार मेरी फैमिली के सभी लोग मालशेज घाटी देखकर आये हुए थे। उनकी बातों से ऐसा ही प्रतित हो रहा था,जैसे स्वर्ग देखकर ही आये हैं। उसके बाद भी इस घाटी के बारे में बहुत बातें सुनी मैंने और मेरी उत्सुकता बढ़ रही थी वहाँ जाने की मगर किसी न किसी वज़ह से मैं जा नही पा रहा था। इसीलिये सोशल साइट्स पर मालशेज घाटी के बारे में पढ़कर,फोटोज और विडीओ देखकर मैं अपने आप को सहला रहा था।
मालशेज घाटी – (Never-never land)
मालशेज घाटी पुणे से १३०कि.मी.दूर अहमदनगर-कल्याण हाइवे(NH-६१)पर हैं या फिर आप पुणे-नासिक हाईवे से(NH-६०)आले फाटा में भी बाये मुड़ सकते हैं।पुणे से इतने पास होने के बावजूद भी ये जगह मैंने अभी तक देखी नही थी,इस बात का मुझे बुरा लग रहा था।आखिर बहुत कुछ चक्कर चलाने के बाद मुझे मेरे काम से दो दिन की फ़ुरसत मिल ही गयी और फौरन में निकल पड़ा,हजारों ख्वाइशें लेकर मुसाफ़िर की तरह मालशेज घाटी के सफर पर। जब मैं पुणे से निकला तब आसमान बिल्कुल साफ नजर आ रहा था,जैसे ही मैं मालशेज घाटी के ओर आगे बढ़ रहा था,वातावरण में भी एक कमाल का बदलाव मुझे महसूस होने लगा। अरब सागर से चढ़ते घने बादलों ने पश्चिमी घाटी को अपने आँचल में समेट लिया था। मैं शांती से ये मनमोहक दृश्य देख रहा था।जैसे ही मैं वादियों में से सफर कर के घाटी के शीर्ष पर पहुँचा,तो ऐसा लगा जैसे परदेस में हूँ।
जून और जुलाई के बीच यहाँ बहुत जोर से बारिश गिरती हैं ऐसा मैंने पढ़ा था।लेकिन यहाँ तो इतना घना कोहरा छाया हुआ था,की कुछ फासले पर का देखना भी मुश्किल हो रहा था।इस सारे वातावरण का लुफ्त उठाते उठाते मैं कब रिसोर्ट पहुँच गया मुझे समझ में ही नही आया।मैंने अपना कमरा ले लिया और सारा सामान पटक के घाटी की ओर निकल पड़ा,जिसका मैं बेसब्री से इंतजार कर रहा था।होटल से बाहर निकला और थोड़ा आगे जाते ही,कुछ हाथ-गाड़ियाँ दिखाई दी।गाड़ियों पर ताजा बेक्ड मकई,नूडल्स जैसे नमकीन सँवारे गए थे।मैं वहाँ खाने के लिये कुछ देर रुक गया। वहाँ के स्थानिक लोगों के साथ गपशप करते समय मुझे इस जगह के बारे में कुछ और खास बातें सुनने के लिये मिली।जो यात्री यहाँ इस सुंदर पहाड़ी स्टेशन का आनंद लेने आते हैं, उनमें से ज़्यादातर लोग हाइकर्स, ट्रेकर्स और प्रकृति प्रेमी होते हैं। मैं जैसे जैसे आगे बढ़ रहा था,वैसे पहाड़ों की ऊँचाई असिमीत हो जा रही थी।
मेरे चारों और हरा रंग दिखाई दे रहा था।सबकुछ घने कोहरे में डूब गया था,ऐसा लग रहा था जैसे आगे कहीं एक नई दुनिया की शुरुआत हो रहीं हैं ये मैं सोच ही रहा था की अचानक बारिश शुरू हुई।इतनी जोर की बारिश मैंने पहले कभी देखी नहीं थी।पल भर में ही मैं पूरा भीग गया और बारिश जैसे शुरू हुई थी वैसे ही थम गई और हवा के तेज़ झोंकों के साथ फिर कोहरा छा गया। वातावरण का ये मिश्रण बहुत अजीब लेकिन अद्भुत लग रहा था।मैं आगे बढ़ गया और उसके अगले ही मोड़ पर जो नज़ारा मैंने देखा,उसे देखके मैं हैरान ही रह गया।वो क़ुदरत का एक चमत्कार ही था।झरनों की मानो कोई माला ही बनाई हो पानी ने निसर्ग को पहनाने के लिये।इतने झरने एक साथ मैंने जीवन में पहले कभी देखें नहीं थे,बिल्कुल अतुलनीय नज़ारा था।झरनों में कुछ छोटें झरने थे,कुछ बड़ें थे,जो सड़क पर बहुत ऊँचाई से गिर रहे थे।उनके बच में से होकर मैं गुजरा।ये बिल्कुल एक संस्मरणीय अनुभव था।इस बात पर कोई संदेह नही की यही झरने मालशेज घाटी की सौंदर्यता और लोकप्रियता बढाते हैं।अगर आप चारों ओर खुलके घूमने का आनंद लेना चाहते हैं,तो बिल्कुल नंगे पैर और सिर्फ बनियान-बरमुड़ा,बनियान-पैंट पर घूमने जाइये।
यहाँ का मौसम इतना ताज़ा और हरा-भरा हैं कि आपकी सभी चिंताओं को दूर करता हैं।ऊँचाई पर से सड़क पर गिरते हुए झरनों के बीच में से गुजरने का अनुभव एक बार लेना ही चाहिये।शहरी जीवन से दूर और भीड़भाड़ न होने के कारण यह जगह पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।यदि आप आराम करने की सोच रहे हो या फिर प्रकृति की संपदा का अनुभव करना चाहते हो,अपने जीवन को फिर से अपने तरीक़े से जीना चाहते हो या फिर मॉनसून का आनंद लेना चाहते हो,मेरा आपसे यही कहना है कि जाइये,मालशेज घाटी का अनुभव कीजिये।वीकेंड बिताने के लिए यह एक शानदार जगह हैं।
मालशेज घाटी पर रहने के लिये सबसे सुरक्षित और अच्छी जगह हैं MTDC का रिसोर्ट।उनके फिटिंग कॉटेज और साथ ही साथ सुपर डिलक्स रूम की सुविधाएँ काफ़ी अच्छी है।उनके कमरे आरामदायक हैं।रिसोर्ट में ही एक रेस्तरां हैं जो काफी अच्छा नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना-व्हेज़/नॉन-व्हेज़ की सेवा प्रदान करता हैं।सार्वजनिक शौचालाय आश्चर्यजनक रूप से बहुत साफ़ हैं,लेकिन MTDC के इन कमरों के लिए बुकिंग अग्रिम में कि जानी चाहिये।ये MTDC रिसोर्ट मालशेज घाट के शीर्ष पर रहने के लिये सबसे अच्छा विकल्प हैं।ऊपर नेट कनेक्टिविटी एक समस्या हैं,लेकिन MTDC के परिसर के भीतर कुछ क्षेत्र हैं जहाँ नेट कनेक्टिविटी प्राप्त होती हैं।यहाँ रहकर आप मालशेज घाटी के आसपास के और भी कुछ पर्यटन स्थलों का आनंद लें सकते हैं।
१.पिंपलगांव जोग डॅम में बर्ड व्यूइंग – पुष्पवाटी नदी पर बने 5 किलोमीटर लंबी पिंपलगांव जोग बांध, माळशेज घाट के मुख्य आकर्षणों में से एक है। पहाड़ियों की सुंदर पृष्ठभूमि बांध की सुंदरता को जोड़ती है। बांध भी कई प्रवासी पक्षियों के लिए स्वर्ग है।
२.हरिश्चंद्रगढ़ किले तक ट्रेक – अगर आप हरिश्चंद्रगढ़ किले तक नहीं चढ़ते हैं, तो माळशेज घाट का दौरा अधूरा है। यहां एक और प्रमुख आकर्षण हरिश्चंद्रगढ़ किले के पास स्थित बौद्ध गुफाएं हैं।
३.कैस्केडिंग,झरने का आनंद लें – माळशेज घाट की सुंदरता कई कैस्केडिंग और झरनों के द्वारा कई गुना बढ़ी है। दोनों बड़े और छोटे, ये झरने एक दिन की यात्रा पर आने वाले पर्यटकों के लिए लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट हैं।
४.ट्रेकिंग ट्रेल्स – माळशेज घाट ट्रेकर्स के बीच एक पसंदीदा जगह है। चाहे आप पहली बार आये हो या फिर अनुभवी ट्रैकर हो, आपकी सुविधा के अनुरूप सभी प्रकार के ट्रेल्स यहां हैं। सबसे लोकप्रिय ट्रेल्स में अबोबा हिल फोर्ट, डार्कोबा पीक, जीवदान,चावंड किला और नाणे घाट हैं।
५.माळशेज घाट सें लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित ऐतिहासिक शिवनेरी किला,यह 17 वीं सदी का किला मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपती शिवाजी महाराज का जन्म स्थान हैं।
इस तरह से मालशेज घाटी वीकेंड के दिनों में छुट्टियों के लिये या फिर मॉनसून के दिनों में ट्रेकिंग ट्रेल्स,झरने,झीलों और ऐतिहासिक जगहों की सैर करने के लिये,एक परिपूर्ण जगह हैं।
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