दुनिया के कुछ झील अपने क्रिस्टल क्लीअर नीले पानी के लिए प्रसिद्ध हैं, तो कुछ झील अपने आकार के लिये, कुछ अपने प्राकृतिक सौंदर्यों के लिए, भारत के महाराष्ट्र राज्य में भी एक झील ऐसी है, जो विश्व में अपने एक यूनिक कारण के लिए प्रसिद्ध है, जी हा, मैं बात कर रहा हूँ, महाराष्ट्र के लोनार शहर में स्थित लोनार झील की।
जिस कारण ये झील दुनिया में मशहूर हैं, वो कारण ये है की, इस लोनार झील का निर्माण एक उल्का पिंड के पृथ्वी से टकराने के कारण हुआ था। ये बात जानके आपको हैरानी भी हो सकती है और मन में सवाल उठ सकता है की, क्या ये बात सोलह आने सच है? लेकिन दुनिया के बड़े – बड़े वैज्ञानिकों ने इस बात पर अपनी मोहर लगायी हैं की, इस झील का निर्माण उल्का पिंड के पृथ्वी से टकराने से ही हुआ। हालांकि ये सुनकर मन में एक अजीब सा डर पैदा होता है की, ये झील कैसी होगी? किस तरह बर्ताव करेगी? हमे कुछ होगा तो नही? तो मैं आपको बताता हूँ की, आप बेखौफ होकर इस अद्भुत झील का अनुभव ले सकते हैं। अब में कुछ इस झील के बारे मैं बताता हूँ।
52000 हजार साल पहले एक घटना घटी, जिसका परिणाम विनाशकारी था, हुवा ये था की, 20 लाख टन की उल्का पिंड पृथ्वी की तरफ 20 KM/s इस गति से आकर पूर्व से 30 अंश कोन में पृथ्वी से टकराई , इस वजह से वहा उल्का से निर्मित एक गड्ढा निर्माण हुआ। लेकिन प्रकृति ने इस विशालकाय गड्ढे को एक अनोखे सरोवर में बदल दिया। ये खुबसूरत झील समुद्र तल से 1,200 मीटर ऊँची सतह पर लगभग 100 मीटर के वर्ग में फैली हुई है। इस झील का व्यास क़रीब 1.8 किलोमीटर हैं। ये झील 5 से 8 मीटर तक सिर्फ खारे पानी से भरी हुई है और झील की गहराई लगभग 500 मीटर है। कहा जाता है की, सरोवर के पानी में समय समय पर बदलाव होते है और यह बदलाव क्यों होते है, ये आज तक रहस्य बना है।
आपको बताता हूँ की, जानकारी ये भी हैं की, यह झील अन्तरिक्ष विज्ञान की एक ऐसी उन्नत प्रयोगशाला है, जहा पर कई राज छिपे हुए हैं और इसलिये इस जगह पर समूचे विश्व की निगाह है। अमरीकी अन्तरिक्ष एजेंसी नासा का मानना है कि, बेसाल्टिक चट्टानों से बनी यह झील बिलकुल वैसी ही है, जैसी झील मंगल की सतह पर पायी जाती है, यहाँ तक कि, इसके जल के रासायनिक गुण भी मंगल पर पायी गयी झीलों के रासायनिक गुणों से मिलते जुलते हैं। लोनार सरोवर बेसॉल्ट खड़क में बना एक मात्र बड़ा सरोवर है। सरोवर के परिसर में चुंबकीय खड़क और स्पटिक मिलते है। इस सरोवर से ओज़ोन वायु तैयार होता है। सरोवर के आसपास बहुत सारे औषधीय पेड़ पौधे है और इस सरोवर के पानी में अनेक प्रकार के शार होने के कारण ये पानी त्वचा रोग पर बहुत गुणकारी है। इसके पानी में शार की अधिक मात्रा होने के कारण इसमें भी जलचर प्राणी नहीं है और इसमें कोई नहीं रह सकता। जैविक नाइट्रोजन यौगिकीकरण इस झील में 2007 में खोजा गया था।
आपको बताता हूँ की, क्रेटर का मतलब होता है, किसी उल्का पिंड या किसी आकाशीय पिंड द्वारा ज़मीन पर होने वाला गढ्ढा। आपने ऐसे विशाल गढ्ढे कई फिल्मों में देखे होंगे। ये बात सोचकर बड़ा अच्छा लगता है की, एक टूटे हुए तारे के जमीन पर गिरने से ये सूंदर झील बन गयी है। ये झील सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अब दुनिया में मशहूर हो गयी है।
इस झील को दो नदियों, पूर्णा और पेंगंगा का पानी भरा हुआ रखता हैं। बारिश के अलावा इन दो नदियों से ही इस सरोवर में पानी आता है। इस सरोवर के किनारे ही स्थापित कई मंदिर इसके इतिहास को बखूबी दर्शाते हैं।
इस रहस्यमय, अद्भुत, खूबसूरत झील का नज़ारा देखने के लिए आपको महाराष्ट् में जाना पड़ेगा और यात्रा के लिए सर्दियों में और बारिश में जाना अच्छा रहेगा, क्योंकि यहा गर्मियों में बहुत गर्म वातावरण रहता है। इस मौसम में झील के चारों तरफ हरी घास होने की वजह से यह जगह शांत और मन को सुकुन देने वाली लगती है।
हवाई जहाज से : लोनार औरंगाबाद से लगभग 122 किमी दूर है और इसलिए औरंगाबाद लोनार के निकटतम हवाई अड्डा है।
रेल द्वारा : निकटतम रेलवे स्टेशन मलकापुर या जालना भी है, जो लोनार शहर से करीब 90 किमी दूर है।
सड़क मार्ग से : लोनार मुंबई से करीब 600 किमी दूर है। सड़क से लोनार पहुंचने का सबसे अच्छा मार्ग औरंगबाद के माध्यम से है। मुंबई से, औरंगाबाद-जालना- लोनार मार्ग पहुंच सकता है। दूसरा मार्ग लोनार- बुलढाणा मार्ग है, जो लगभग 95 किलोमीटर है।